रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार (1 अक्टूबर) को कई बड़े फैसले लिए, जिनसे कंपनियों और आम लोगों के लिए बैंक लोन लेना आसान और सस्ता हो जाएगा। साथ ही UPI चार्ज को लेकर लोगों की चिंता को भी दूर किया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग बाद सभी फैसलों की घोषणा की।
RBI की MPC में लिए गए बड़े फैसले
1. कंपनियों के लिए अधिग्रहण लोन आसान
RBI ने अब बैंकों को भारतीय कंपनियों को अधिग्रहण (किसी कंपनी को खरीदने) के लिए लोन देने की इजाजत दे दी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने इसकी मांग की थी।
जिसके बाद RBI एक ऐसा स्ट्रक्चर तैयार करेगा, जिससे बैंक आसानी से ऐसे लोन दे सकें। इसका मतलब है कि अब कंपनियां दूसरी कंपनियों को खरीदने के लिए आसानी से फंड जुटा सकेंगी।
2. शेयर-डेट सिक्योरिटीज पर लोन लिमिट बढ़ी
- लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज: पहले इन पर लोन देने की लिमिट तय थी, लेकिन अब RBI ने इस सीमा को हटा दिया है। इससे बैंकों को ज्यादा लोन देने की छूट मिलेगी।
- शेयर्स पर लोन: अब तक किसी व्यक्ति को शेयर्स के बदले अधिकतम 20 लाख रुपए का लोन मिल सकता था, जिसे बढ़ाकर अब 1 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- IPO फाइनेंसिंग: IPO (नई कंपनियों के शेयरों की खरीद) के लिए लोन लेना चाहते हैं, तो पहले 10 लाख की सीमा थी, जिसे अब बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया गया है।
खासकर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) को इससे फायदा होगा, क्योंकि वे अब IPO में ज्यादा पैसे लगा सकेंगे। ये बदलाव 1 अक्टूबर से लागू हो चुके हैं।
3. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए सस्ता लोन
RBI ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लोन को और सस्ता करने का फैसला किया है। नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को अच्छी क्वालिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए दिए जाने वाले लोन पर रिस्क वेट कम किया जाएगा। इससे ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग आसान और सस्ती होगी।

4. बड़े लोन लेने वालों के लिए राहत
2016 में RBI ने एक नियम बनाया था, जिसके तहत 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बैंक एक्सपोजर वाले बड़े कर्जदारों को लोन देना मुश्किल था। अब इस नियम को हटा दिया गया है। इससे बड़े कारोबारियों को लोन मिलना आसान होगा और सिस्टम में कुल मिलाकर ज्यादा क्रेडिट अवेलेबल होगा।
5. नए नियमों के लिए बैंकों को मिलेगा समय
RBI गवर्नर ने बताया कि बैंकों के लिए नए नियम, जैसे कि एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) फ्रेमवर्क और बासेल 3 कैपिटल फ्रेमवर्क 2027 से लागू होंगे। इससे बैंकों को इन बदलावों के लिए तैयार होने का पर्याप्त समय मिलेगा।
6. UPI रहेगा मुफ्त, कोई चार्ज नहीं लगेगा
RBI गवर्नर ने साफ किया कि UPI ट्रांजैक्शंस पर अभी कोई चार्ज लगाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और RBI चाहते हैं कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिले, इसलिए UPI को मुफ्त रखा जाएगा। हालांकि, उन्होंने पहले कहा था कि UPI की लागत कोई न कोई तो उठाता है, लेकिन अभी कोई बदलाव नहीं होगा।
RBI के फैसलों से क्या असर होगा?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI के ये फैसले बैंकों को ज्यादा लोन देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इससे कॉरपोरेट अधिग्रहण, IPO में हिस्सेदारी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा।
साथ ही UPI के मुफ्त रहने से डिजिटल पेमेंट का चलन और बढ़ेगा। इन बदलावों से भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद है, क्योंकि कारोबार और आम लोग दोनों को अब लोन और फाइनेंशियल सर्विसेज आसानी से मिल सकेंगी।
