हरियाणा में चलाई जा रही कई परियोजनाओं के पूरा होने में हो रहे देरी को लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी खासे नाराज हैं। उन्होंने इसको लेकर निर्देश दिए हैं कि ऐसी सभी परियोजनाओं की प्रशासनिक सचिवों के स्तर पर गहन समीक्षा की जाए। इसको लेकर अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, जिनके पास वित्त विभाग का दायित्व भी है, ने आनन फानन में इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्डों और निगमों के प्रबंध निदेशकों, मंडलायुक्तों तथा उपायुक्तों को एक पत्र जारी किया है।

CS ने रिव्यू के बाद रिपोर्ट तलब की
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि सभी अधिकारी अपने-अपने विभागों या संस्थाओं की ’चल रही परियोजनाओं एवं मध्यस्थता मामलों’ की समीक्षा करें। साथ ही, विभागों को अधूरी अथवा लंबित परियोजनाओं का विवरण निर्धारित प्रपत्र में भेजने को कहा गया है।
इस प्रपत्र में वित्तीय प्रभाव, विलंब के कारण, जवाबदेही तथा परियोजना के शीघ्र पूरे होने के लिए उपाय’ स्पष्ट रूप से देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा लंबित बजट घोषणाओं और अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है।
प्रशासनिक सचिवों से मांगी टिप्पणी
एक लेटर में विभागों से कहा गया है कि वे निर्माण कार्यों से संबंधित सभी लंबित मध्यस्थता मामलों का ब्योरा भी प्रस्तुत करें। इसमें परियोजना का विवरण, ठेकेदार या एजेंसी का नाम, वित्तीय दायित्व, गत तीन वर्षों में हुए मध्यस्थता निर्णय एवं उनका राज्य पर वित्तीय प्रभाव शामिल होगा।
प्रत्येक विभाग को प्रशासनिक सचिव द्वारा अनुमोदित एक ’संक्षिप्त टिप्पणी’ भी संलग्न करनी होगी, जिसमें विषय की गंभीरता, संभावित त्रुटियां, मुख्य चिंताएं एवं ’आगे की कार्ययोजना’ का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए।
इंजीनियर इन चीफ की कमेटी बनाई
मुख्य सचिव की ओर से मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरा करने के उद्देश्य के लिए इंजीनियर-इन-चीफ की एक समिति भी गठित की गई है, जो इन मामलों की समीक्षा कर उचित सिफारिशें देगी। ताकि राज्य को अनावश्यक विलंब और वित्तीय दायित्वों से बचाया जा सके।
